Oct 22, 2016

उसको तो फ़र्क पड़ता है

एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद हजारों लाखों मछलियाँ किनारे पर रेत पर तड़प तड़प कर मर रहीँ थीं ! इस भयानक स्थिति को देखकर पास में रहने वाले एक 6 वर्ष के बच्चे से रहा नहीं गया, और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेकनें लगा !

यह देख कर उसकी माँ बोली, बेटा लाखों की संख्या में है , तू कितनों की जान बचाएगा ,यह सुनकर बच्चे ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, माँ फिर बोली बेटा रहनें दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ! बच्चा जोर जोर से रोने लगा और एक मछली को समुद्र में फेकतें हुए जोर से बोला माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता है"

दूसरी मछली को उठाता और फिर बोलता माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता हैं" ! माँ ने बच्चे को सीने से लगा लिया !

हो सके तो लोगों को हमेशा होंसला और उम्मीद देनें की कोशिश करो, न जानें कब आपकी वजह से किसी की जिन्दगी वदल जाए!

क्योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर "उसको तो फ़र्क पड़ता है"


Hidden Countries

Find the name of a country hidden in the consecutive letters within these sentences....
 

For example, FRANCE is hiding in the sentence, "The runners who lived at the top of the cliff ran centuries ago". (clifF RAN CEenturies).

1. You all must pay it back, or each of you will be in trouble.

2. Was Doctor Dolittle's favorite animal a glib yak?

3. A true optimist will never let hope rush away.

4. How often can a daydream come true?

5. Is there a health spa in this hotel?

6. They are going in diametrically opposite directions.

7. Is the county fair a nice place to visit?

8. The foot with which I lead is my left one.

9. He owns a ranch in Arizona.

10. The foods we deny ourselves are usually tasty....!!


Jul 6, 2016

इंजिनियर और डॉक्टर

एक इंजिनियर को जॉब नही मिली तो उसने क्लिनिक खोला और बाहर लिखा 'तीन सौ रूपये मे ईलाज करवाये
ईलाज नही हुआ तो एक हजार रूपये वापिस'….

एक डॉक्टर ने सोचा कि एक हजार रूपये कमाने का अच्छा मौका है वो क्लिनिक पर गया और बोला, "मुझे किसी भी चीज का स्वाद नही आता है"

इंजिनियर : बॉक्स नं.२२ से दवा निकालो और ३ बूँद पिलाओ

नर्स ने पिला दी

मरीज(डॉक्टर) : ये तो पेट्रोल है

इंजिनियर : मुबारक हो आपको टेस्ट महसूस हो गया, लाओ तीन सौ रूपये…

डॉक्टर को गुस्सा आ गया.......कुछ दिन बाद फिर वापिस गया, पुराने पैसे वसूलने.....

मरीज(डॉक्टर) : साहब मेरी याददास्त कमजोर हो गई है......

इंजिनियर : बॉक्स नं. २२ से दवा निकालो और ३ बूँद पिलाओ......

मरीज (डॉक्टर) : लेकिन वो दवा तो जुबान की टेस्ट के लिए है.....

इंजिनियर : ये लो तुम्हारी याददास्त भी वापस आ गई, लाओ तीन सौ रुपए…

इस बार डॉक्टर गुस्से में गया

मरीज(डॉक्टर) : मेरी नजर कम हो गई है........

इंजीनियर : इसकी दवाई मेरे पास नहीं है। लो एक हजार रुपये।

मरीज(डॉक्टर) : यह तो पांच सौ का नोट है।

इंजीनियर : आ गई नजर। ला तीन सौ रुपये.......


सौ ऊंट

किसी  शहर  में, एक आदमी प्राइवेट  कंपनी  में  जॉब  करता था . वो  अपनी  ज़िन्दगी  से  खुश  नहीं  था , हर  समय  वो  किसी  न  किसी  समस्या  से  परेशान  रहता  था .

एक बार  शहर  से  कुछ  दूरी  पर  एक  महात्मा  का  काफिला  रुका . शहर  में  चारों  और  उन्ही की चर्चा  थी.

बहुत  से  लोग  अपनी  समस्याएं  लेकर  उनके  पास  पहुँचने  लगे ,उस आदमी  ने  भी  महात्मा  के  दर्शन  करने  का  निश्चय  किया .

छुट्टी के दिन  सुबह -सुबह ही उनके  काफिले  तक  पहुंचा . बहुत इंतज़ार  के  बाद उसका  का  नंबर  आया .

वह  बाबा  से  बोला  ,” बाबा , मैं  अपने  जीवन  से  बहुत  दुखी  हूँ , हर  समय  समस्याएं  मुझे  घेरी  रहती  हैं , कभी ऑफिस  की  टेंशन  रहती  है , तो  कभी  घर  पर  अनबन  हो  जाती  है , और  कभी  अपने  सेहत  को  लेकर  परेशान रहता  हूँ ….

बाबा  कोई  ऐसा  उपाय  बताइये  कि  मेरे  जीवन  से  सभी  समस्याएं  ख़त्म  हो  जाएं  और  मैं  चैन  से  जी सकूँ?

बाबा  मुस्कुराये  और  बोले, “ पुत्र  , आज  बहुत देर  हो  गयी  है  मैं  तुम्हारे  प्रश्न  का  उत्तर  कल  सुबह दूंगा … लेकिन क्या  तुम  मेरा  एक  छोटा  सा  काम  करोगे …?”

“हमारे  काफिले  में  सौ ऊंट हैं, मैं  चाहता हूँ  कि  आज  रात  तुम  इनका  खयाल  रखो …जब  सौ  के  सौ  ऊंट बैठ  जाएं  तो  तुम   भी  सो  जाना …”,

ऐसा कहते  हुए   महात्मा अपने  तम्बू  में  चले  गए ..

अगली  सुबह  महात्मा उस आदमी  से  मिले  और  पुछा , “ कहो  बेटा , नींद  अच्छी  आई .”

वो  दुखी  होते  हुए  बोला, “कहाँ  बाबा, मैं  तो  एक  पल  भी  नहीं  सो  पाया. मैंने  बहुत  कोशिश  की  पर  मैं  सभी  ऊंटों को  नहीं  बैठा  पाया , कोई  न  कोई  ऊंट खड़ा  हो  ही  जाता …!!!

बाबा बोले, “ बेटा, कल  रात  तुमने  अनुभव  किया कि  चाहे  कितनी  भी  कोशिश  कर  लो  सारे  ऊंट एक  साथ  नहीं  बैठ  सकते …तुम  एक  को  बैठाओगे  तो  कहीं  और  कोई  दूसरा  खड़ा  हो  जाएगा....इसी  तरह  तुम एक  समस्या  का  समाधान  करोगे  तो  किसी  कारणवश  दूसरी खड़ी हो  जाएगी ..

पुत्र  जब  तक  जीवन  है  ये समस्याएं  तो  बनी  ही  रहती  हैं … कभी  कम  तो  कभी  ज्यादा ….”

“तो  हमें  क्या  करना चाहिए  ?” , आदमी  ने  जिज्ञासावश  पुछा .

“इन  समस्याओं  के  बावजूद  जीवन  का  आनंद  लेना  सीखो …

कल  रात  क्या  हुआ ?
1) कई  ऊंट रात होते -होते  खुद ही  बैठ  गए  ,
2) कई  तुमने  अपने  प्रयास  से  बैठा  दिए ,
3) बहुत  से  ऊंट तुम्हारे  प्रयास  के  बाद  भी नहीं बैठे … और बाद  में  तुमने  पाया  कि उनमे से कुछ खुद ही  बैठ  गए ….

कुछ  समझे ….?? समस्याएं  भी  ऐसी  ही  होती  हैं..

1) कुछ  तो  अपने आप ही ख़त्म  हो  जाती  हैं ,
2) कुछ  को  तुम  अपने  प्रयास  से  हल  कर लेते  हो …
3) कुछ  तुम्हारे  बहुत  कोशिश  करने  पर   भी  हल  नहीं  होतीं ,

ऐसी  समस्याओं  को   समय  पर  छोड़  दो … उचित  समय  पर  वे खुद  ही  ख़त्म  हो  जाती  हैं.!!

जीवन  है, तो  कुछ समस्याएं रहेंगी  ही  रहेंगी …. पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  की  तुम  दिन  रात  उन्ही  के  बारे  में  सोचते  रहो …समस्याओं को  एक  तरफ  रखो  और  जीवन  का  आनंद  लो…चैन की नींद सो …जब  उनका  समय  आएगा  वो  खुद  ही  हल  हो  जाएँगी"...


ONLY

Professor Ernest Brennecke of Columbia is credited with inventing a sentence that can be made to have eight different meanings by placing ONE WORD in all possible positions in the sentence:

"I hit him in the eye yesterday."

The word is "ONLY".


The Message:

1. ONLY I hit him in the eye yesterday. (No one else did.)

2. I ONLY hit him in the eye yesterday. (Did not slap him.)

3. I hit ONLY him in the eye yesterday. (I did not hit others.)

4. I hit him ONLY in the eye yesterday (I did not hit outside the eye).

5. I hit him in ONLY the eye yesterday (Not other organs).

6. I hit him in the ONLY eye yesterday (He doesn't have another eye).

7. I hit him in the eye ONLY yesterday (Not today).

8. I hit him in the eye yesterday ONLY (Did not wait for today).


This is the beauty and complexity of the English language.


Impact of Brexit

The European Commission has just announced an agreement whereby English will be the official language of the European Union rather than German, which was the other possibility.

As part of the negotiations, the British Government conceded that English spelling had some room for improvement and has accepted a 5- year phase-in plan that would become known as "Euro-English".

In the first year, "s" will replace the soft "c". Sertainly, this will make the sivil servants jump with joy. The hard "c" will be dropped in favour of "k". This should klear up konfusion, and keyboards kan have one less letter.

There will be growing publik enthusiasm in the sekond year when the troublesome "ph" will be replaced with "f". This will make words like fotograf 20% shorter.

In the 3rd year, publik akseptanse of the new spelling kan be expekted to reach the stage where more komplikated changes are possible.

Governments will enkourage the removal of double letters which have always ben a deterent to akurate speling.

Also, al wil agre that the horibl mes of the silent "e" in the languag is disgrasful and it should go away.

By the 4th yer people wil be reseptiv to steps such as replasing "th" with "z" and "w" with "v".

During ze fifz yer, ze unesesary "o" kan be dropd from vords kontaining "ou" and after ziz fifz yer, ve vil hav a reil sensi bl riten styl.

Zer vil be no mor trubl or difikultis and evrivun vil find it ezi TU understand ech oza. Ze drem of a united urop vil finali kum tru.

Und efter ze fifz yer, ve vil al be speking German like zey vunted in ze forst plas.

If zis mad you smil, pleas pas on to oza pepl.

And Congratulations you have learnt German within minutes.


खुशवंत सिंह के लिखे ज़िंदगी के दस सूत्र

इन दसों सूत्रों को पढ़ने के बाद पता चला कि सचमुच खुशहाल ज़िंदगी और शानदार मौत के लिए ये सूत्र बहुत ज़रूरी हैं।

1. अच्छा स्वास्थ्य - अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं।

2. ठीक ठाक बैंक बैलेंस - अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है।

3. अपना मकान - मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है।

4. समझदार जीवन साथी - जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना।

5. दूसरों की उपलब्धियों से न जलना  - कोई आपसे आगे निकल जाए, किसी के पास आपसे ज़्यादा पैसा हो जाए, तो उससे जले नहीं। दूसरों से खुद की तुलना करने से आपकी खुशियां खत्म होने लगती हैं।

6. गप से बचना - लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दीजिए। जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप बहुत थक चुके होंगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर भर चुका होगा।

7. अच्छी आदत - कोई न कोई ऐसी हॉबी विकसित करें, जिसे करने में आपको मज़ा आता हो, मसलन गार्डेनिंग, पढ़ना, लिखना। फालतू बातों में समय बर्बाद करना ज़िंदगी के साथ किया जाने वाला सबसे बड़ा अपराध है। कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए, जिससे आपको खुशी मिले और उसे आप अपनी आदत में शुमार करके नियमित रूप से करें।

8. ध्यान - रोज सुबह कम से कम दस मिनट ध्यान करना चाहिए। ये दस मिनट आपको अपने ऊपर खर्च करने चाहिए। इसी तरह शाम को भी कुछ वक्त अपने साथ गुजारें। इस तरह आप खुद को जान पाएंगे।

9. क्रोध से बचना - कभी अपना गुस्सा ज़ाहिर न करें। जब कभी आपको लगे कि आपका दोस्त आपके साथ तल्ख हो रहा है, तो आप उस वक्त उससे दूर हो जाएं, बजाय इसके कि वहीं उसका हिसाब-किताब करने पर आमदा हो जाएं।

10. अंतिम समय - जब यमराज दस्तक दें, तो बिना किसी दुख, शोक या अफसोस के साथ उनके साथ निकल पड़ना चाहिए अंतिम यात्रा पर, खुशी-खुशी। शोक, मोह के बंधन से मुक्त हो कर जो यहां से निकलता है, उसी का जीवन सफल होता है।

मुझे नहीं पता कि खुशवंत सिंह ने पीएचडी की थी या नहीं। पर इन्हें पढ़ने के बाद मुझे लगने लगा है कि ज़िंदगी के डॉक्टर भी होते हैं। ऐसे डॉक्टर ज़िंदगी बेहतर बनाने का फॉर्मूला देते हैं । ये ज़िंदगी के डॉक्टर की ओर से ज़िंदगी जीने के लिए दिए गए नुस्खे है।


कूड़े का ट्रक

एक दिन एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था।ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से निकल कर रोड पर आ गयी। ऑटो चालक ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते टकराते बची।

कार चालक गुस्से में ऑटो वाले को ही भला-बुरा कहने लगा जबकि गलती कार- चालक की थी।

ऑटो चालक एक सत्संगी (सकारात्मक विचार सुनने-सुनाने वाला) था। उसने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और क्षमा माँगते  हुए आगे बढ़ गया।

ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की हरकत पर गुस्सा आ रहा था और उसने ऑटो वाले से पूछा तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया। उसने तुम्हें भला-बुरा कहा जबकि गलती तो उसकी थी।हमारी किस्मत अच्छी है, नहीं तो उसकी वजह से हम अभी अस्पताल में होते।

ऑटो वाले ने कहा साहब बहुत से लोग गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक) की तरह होते हैं। वे बहुत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरे हुए चलते हैं। जिन चीजों की जीवन में कोई ज़रूरत नहीं होती उनको मेहनत करके जोड़ते रहते हैं जैसे क्रोध, घृणा, चिंता, निराशा आदि। जब उनके दिमाग में इनका कूड़ा बहुत अधिक हो जाता है तो वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूँढ़ने लगते हैं।

इसलिए मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ और उन्हें दूर से ही मुस्करा कर अलविदा कह देता हूँ। क्योंकि अगर उन जैसे लोगों द्वारा गिराया हुआ कूड़ा मैंने स्वीकार कर लिया तो मैं भी एक कूड़े का ट्रक बन जाऊँगा और अपने साथ साथ आसपास के लोगों पर भी वह कूड़ा गिराता रहूँगा।

मैं सोचता हूँ जिंदगी बहुत ख़ूबसूरत है इसलिए जो हमसे अच्छा व्यवहार करते हैं उन्हें धन्यवाद कहो और जो हमसे अच्छा व्यवहार नहीं करते उन्हें मुस्कुराकर माफ़ कर दो। हमें यह याद रखना चाहिए कि सभी मानसिक रोगी केवल अस्पताल में ही नहीं रहते हैं। कुछ हमारे आस-पास खुले में भी घूमते रहते हैं । 
                                                                                                       

प्रकृति का नियम: यदि खेत में बीज न डाले जाएँ तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती है।
उसी तरह से यदि दिमाग में सकारात्मक विचार न भरें जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते हैं।*


मन का दर्पण

एक गुरुकुल के आचार्य अपने शिष्य की सेवा से बहुत प्रभावित हुए. विद्या पूरी होने के बाद जब शिष्य विदा होने लगा तो गुरू ने उसे आशीर्वाद के रूप में एक दर्पण दिया.
.
वह साधारण दर्पण नहीं था. उस दिव्य दर्पण में किसी भी व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी.
.
शिष्य, गुरू के इस आशीर्वाद से बड़ा प्रसन्न था. उसने सोचा कि चलने से पहले क्यों न दर्पण की क्षमता की जांच कर ली जाए.
.
परीक्षा लेने की जल्दबाजी में उसने दर्पण का मुंह सबसे पहले गुरुजी के सामने कर दिया.
.
शिष्य को तो सदमा लग गया. दर्पण यह दर्शा रहा था कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण स्पष्ट नजर आ रहे हैं.
.
मेरे आदर्श, मेरे गुरूजी इतने अवगुणों से भरे हैं ! यह सोचकर वह बहुत दुखी हुआ. दुखी मन से वह दर्पण लेकर गुरुकुल से रवाना हो गया तो हो गया लेकिन रास्ते भर मन में एक ही बात चलती रही. जिन गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित एक आदर्श पुरूष समझता था लेकिन दर्पण ने तो कुछ और ही बता दिया.
.
उसके हाथ में दूसरों को परखने का यंत्र आ गया था. इसलिए उसे जो मिलता उसकी परीक्षा ले लेता.
.
उसने अपने कई इष्ट मित्रों तथा अन्य परिचितों के सामने दर्पण रखकर उनकी परीक्षा ली. सब के हृदय में कोई न कोई दुर्गुण अवश्य दिखाई दिया.
.
जो भी अनुभव रहा सब दुखी करने वाला. वह सोचता जा रहा था कि संसार में सब इतने बुरे क्यों हो गए हैं. सब दोहरी मानसिकता वाले लोग हैं.
.
जो दिखते हैं दरअसल वे हैं नहीं. इन्हीं निराशा से भरे विचारों में डूबा दुखी मन से वह किसी तरह घर तक पहुंच गया.
.
उसे अपने माता-पिता का ध्यान आया. उसके पिता की तो समाज में बड़ी प्रतिष्ठा है. उसकी माता को तो लोग साक्षात देवतुल्य ही कहते हैं. इनकी परीक्षा की जाए.
.
उसने उस दर्पण से माता-पिता की भी परीक्षा कर ली. उनके हृदय में भी कोई न कोई दुर्गुण देखा. ये भी दुर्गुणों से पूरी तरह मुक्त नहीं है. संसार सारा मिथ्या पर चल रहा है.
.
अब उस बालक के मन की बेचैनी सहन के बाहर हो चुकी थी.
.
उसने दर्पण उठाया और चल दिया गुरुकुल की ओर. शीघ्रता से पहुंचा और सीधा जाकर अपने गुरूजी के सामने खड़ा हो गया.
.
गुरुजी उसके मन की बेचैनी देखकर सारी बात का अंदाजा लगा चुके थे.
.
चेले ने गुरुजी से विनम्रतापूर्वक कहा- गुरुदेव, मैंने आपके दिए दर्पण की मदद से देखा कि सबके दिलों में तरह-तरह के दोष हैं. कोई भी दोषरहित सज्जन मुझे अभी तक क्यों नहीं दिखा ?
.
क्षमा के साथ कहता हूं कि स्वयं आपमें और अपने माता-पिता में मैंने दोषों का भंडार देखा. इससे मेरा मन बड़ा व्याकुल है.
.
तब गुरुजी हंसे और उन्होंने दर्पण का रुख शिष्य की ओर कर दिया. शिष्य दंग रह गया. उसके मन के प्रत्येक कोने में राग-द्वेष, अहंकार, क्रोध जैसे दुर्गुण भरे पड़े थे. ऐसा कोई कोना ही न था जो निर्मल हो.
.
गुरुजी बोले- बेटा यह दर्पण मैंने तुम्हें अपने दुर्गुण देखकर जीवन में सुधार लाने के लिए दिया था न कि दूसरों के दुर्गुण खोजने के लिए.
.
जितना समय तुमने दूसरों के दुर्गुण देखने में लगाया उतना समय यदि तुमने स्वयं को सुधारने में लगाया होता तो अब तक तुम्हारा व्यक्तित्व बदल चुका होता.
.
मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह दूसरों के दुर्गुण जानने में ज्यादा रुचि रखता है. स्वयं को सुधारने के बारे में नहीं सोचता. इस दर्पण की यही सीख है जो तुम नहीं समझ सके.
.
कितनी बड़ी बात कही उन्होंने. बेशक संसार में दुर्गुणों की भरमार है परंतु हममें भी कम अवगुण तो नहीं हैं. किसी और में दोष खोजने से बड़ा अवगुण क्या है. 
.
यदि हम स्वयं में थोड़ा-थोड़ा करके सुधार करने लगें तो हमारा व्यक्तित्व परिवर्तित हो जाएगा. पर हम ऐसा करेंगे नहीं.
.
कारण, सबसे कठिन कार्य तो यही है स्वयं की कमी को परखना, उसे स्वीकारना और ठीक करने की हिम्मत दिखाना. हम अपनी कमियों को ढंकने के लिए कैसे-कैसे बनावटी सहारे लेते हैं.
.
अपने अंदर आई हर कमी के लिए दूसरों को दोषी मानने लगते हैं. मैंने यह काम इसलिए किया क्योंकि उसने मुझसे ऐसा करा. मेरे अंदर ये बुराई इसलिए क्योंकि इसी बुराई से मैं दूसरे पर हावी हो रहा हूं.
.
उसने यह न किया होता तो मैं ये न होता, आदि आदि. आप अपने लिए जिम्मेदार हैं. किसी और के कारण आप अपने अंदर दुर्गुण क्यों भरते जा रहे हैं. ये दुर्गुण ऐसे हावी होंगे कि आप इनका प्रयोग ऐसे लोगों पर भी करेंगे जो इससे मुक्त थे. फिर उसे भी आपकी तरह बहाने मिलेंगे.
.
जरा शांति से सोचिएगा कि आप क्या करते जा रहे हैं.


राजा का हाथी

एक राजा के पास कई हाथी थे, लेकिन एक हाथी बहुत शक्तिशाली था, बहुत आज्ञाकारी, समझदार व युद्ध-कौशल में निपुण था। बहुत से युद्धों में वह भेजा गया था और वह राजा को विजय दिलाकर वापस लौटा था, इसलिए वह महाराज का सबसे प्रिय हाथी था।

समय गुजरता गया ...और एक समय ऐसा भी आया, जब वह वृद्ध दिखने लगा। अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर पाता था। इसलिए अब राजा उसे युद्ध क्षेत्र में भी नहीं भेजते थे।

एक दिन वह सरोवर में जल पीने के लिए गया, लेकिन वहीं कीचड़ में उसका पैर धँस गया और फिर धँसता ही चला गया।उस हाथी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह उस कीचड़ से स्वयं को नहीं निकाल पाया।

उसकी चिंघाड़ने की आवाज़ से लोगों को यह पता चल गया कि वह हाथी संकट में है।हाथी के फँसने का समाचार राजा तक भी पहुँचा। राजा समेत सभी लोग हाथी के आसपास इकट्ठा हो गए और विभिन्न प्रकार के शारीरिक प्रयत्न उसे निकालने के लिए करने लगे। जब बहुत देर तक प्रयास करने के उपरांत कोई मार्ग नहीं निकला तो राजा ने अपने सबसे अनुभवी मंत्री को बुलवाया।

मंत्री ने आकर घटनास्थल का निरीक्षण किया और फिर राजा को सुझाव दिया कि सरोवर के चारों और युद्ध के नगाड़े बजाए जाएँ। सुनने वालों को विचित्र लगा कि भला नगाड़े बजाने से वह फँसा हुआ हाथी बाहर कैसे निकलेगा, जो अनेक व्यक्तियों के शारीरिक प्रयत्न से बाहर निकल नहीं पाया।

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही युद्ध के नगाड़े बजने प्रारंभ हुए, वैसे ही उस मृतप्राय हाथी के हाव-भाव में परिवर्तन आने लगा। पहले तो वह धीरे-धीरे करके खड़ा हुआ और फिर सबको हतप्रभ करते हुए स्वयं ही कीचड़ से बाहर निकल आया।

अब मंत्री ने सबको स्पष्ट किया कि हाथी की शारीरिक क्षमता में कमी नहीं थी, आवश्यकता मात्र उसके अंदर उत्साह के संचार करने की थी।

हाथी की इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि यदि हमारे मन में एक बार उत्साह – उमंग जाग जाए तो फिर हमें कार्य करने की ऊर्जा स्वतः ही मिलने लगती है और कार्य के प्रति उत्साह का मनुष्य की उम्र से कोई संबंध नहीं रह जाता। कभी – कभी निरंतर मिलने वाली असफलताओं से व्यक्ति यह मान लेता है कि अब वह पहले की तरह कार्य नहीं कर सकता, लेकिन यह पूर्ण सच नहीं है। जीवन में उत्साह बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य सकारात्मक चिंतन बनाए रखे और निराशा को हावी न होने दे।

सकारात्मक बनिए !! हार मत मानिए !!
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।


May 6, 2016

Gabbar Singh Ke Sholay

Management lessons from Gabbar Singh ...

Gabaar was an astute management guru as is reflected in some of the timeless management lessons he delivered thru the movie Sholay  

1. Jo darr gaya samjho mar gaya ... Courage and enterprise are important factors for laying the successful foundation of a growth oriented business

2. Kitne admi the ... Its important to know the competition and its size ..he understood that even a small team can make a difference

3. Arey o sambha kitna inam rakhe hai sarkar hum par ...promoting one's own brand very important and to Be reiterated always

4. 6 goli aur aadmi 3 ... Create an illusion where his people had a chance of survival ..he kills them in the next scene ...
moral - perform or perish

5. Le ab goli kha ... Sometimes in the interest of the organisation  u have to take hard decisions .... So sometimes  have to 'fire' some employees

6. Jab tak tere pair chalenge uski saans chalegi ...classic carrot and stick approach ...tere pair ruke toh yeh bandook chalegi !!

7 . Yeh ramgadh waale apni beti ko kaun chaki ka aata khilate hai re ...market research is important to understand value propositions !!


Lunch With God

A little boy wanted to meet God! He packed his suitcase with two sets of his dress and some packets of cakes! He started his journey, he walked a long distance and found a park! He was feeling tired, so, he decided to sit in the park and take some refreshment! He opened a packet of cake to eat!

He noticed an old woman sitting nearby, sad with hunger, so he offered her a piece of cake!

She gratefully accepted it with a wide look and smiled at him! Her smile was so pretty that the boy longed to see it again! After sometime he offered her another piece of cake! Again, she accepted it and smiled at him! The boy was delighted!

They sat there all afternoon eating and smiling, but never said a word! While it grew dark, the boy was frightened and he got up to leave but before he had gone more than a few steps, he ran back and gave the woman a hug and she kissed him with her prettiest smile!

Back home, when the boy knocked the door, his mother was surprised by the look of joy on his face!

She asked him, "What did you do today that makes you look so happy?"

He replied, "I had lunch with God!"

Before his mother could respond, he added, "You know what? She's got the most beautiful smile I've ever seen in my life!"

Meanwhile, the old woman, also radiant with joy, returned to her home! Her son was stunned by the look of peace on her face and asked, "Mom, what did you do today that made you so happy?"

She replied, "I ate cakes in the park with God!"

Before her son responded, she added, "You know, he's much younger than I expected!"

Remember, nobody knows how God will look like! People come into our lives for a reason, for a season or for a lifetime!

Accept all of them equally.. .. .. .. .. ..LET THEM SEE GOD IN YOU..!!


Power Of Collectivity

A farmer grew award-winning corn. Each year he entered his corn in the state fair where it won a blue ribbon.

One year a newspaper reporter interviewed him and learned something interesting about how he grew it. The reporter discovered that the farmer shared his seed corn with his neighbors. “How can you afford to share your best seed corn with your neighbors when they are entering corn in competition with yours each year?” the reporter asked. “Why sir,” said the farmer, “didn’t you know?

The wind picks up pollen from the ripening corn and swirls it from field to field. If my neighbours grow inferior corn, cross-pollination will steadily degrade the quality of my corn. If I am to grow good corn, I must help my neighbours grow good corn.”

So is with our lives. Those who want to live meaningfully and well must help enrich the lives of others, for the value of a life is measured by the lives it touches. And those who choose to be happy must help others find happiness, for the welfare of each is bound up with the welfare of all.

Call it power of collectivity.

Call it a principle of success.

Call it a law of life.

The fact is, none of us truly wins, until we all win!!


May 1, 2016

Predictions

I went to a Inter-Religion Integration Seminar.

The Bishop came, laid his hands on my hand and said, “By the will of Jesus Christ, you will walk today!”

I smiled and told him I was not paralysed.

The Rabbi came, laid his hands on my hand and said, “By the will of God Almighty, you will walk today!

I was less amused when I told him there was nothing wrong with me.

The Mullah came, took my hands and said, “Insha Allah, you will walk today!”

I snapped at him, “There’s nothing wrong with me”.

The Hindu sadhu came and said "Beta, you will walk on your legs today."

I said "Babaji - nothing wrong with my legs".

The Buddhist Monk came, held my hands and said, “By the will of The Great Buddha, you will walk today!”

I rudely told him there was nothing wrong with me.

After the Seminar, I stepped outside and found my car had been stolen.

I believe in all Religions now......


Apr 7, 2016

The Lightening


A bus full of passengers was traveling while suddenly the weather changed and there was a huge downpour and lightening all around.

They could see that the lightening would appear to come towards the bus and then go elsewhere.

After 2 or 3 instances, the driver stopped the bus about fifty feet away from a tree and said -

"We have somebody in the bus whose death is a certainty today. Because of that person everybody else will also get killed. I want each person to go one-by-one and touch the tree trunk and come back. Whom so ever death is certain will get caught up by the lightening and will die. But everybody else will be saved".

They had to force the 1st person to go and touch the tree and come back.

He reluctantly got down from the bus and went and touched the tree.

His heart leaped with joy when nothing happened and he was still alive.

This continued for rest of the passengers who were all relieved when they touched the tree and nothing happened.

When the last passengers turn came, everybody looked at him with accusing eyes.

This passenger was also very afraid and reluctant.

Everybody forced him to get down and go and touch the tree.

With a fear of death, the last passenger walked to the tree and touched it.

There was a huge sound of thunder and the lightening came down and hit the bus - yes the lightening hit the bus, and killed each and every passenger inside the bus.

It was because of the presence of this last passenger that earlier, the entire bus was safe and the lightening could not strike the bus.

Sometimes we try to take credit for our achievements, but this could also be because of a person right next to us.

Look around you - Probably GOD is there around you, in the form of Parents, spouse children, siblings, friends, etc, who are saving you from bad things to happen to you.

Think About it..